देवली के बावड़ी बालाजी मंदिर परिसर में पीड़ित गोवंश की सेवार्थ सहायता राशि एकत्रित करने के उद्देश्य से चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस महाराज स्वामी बसंत महाराज ने धुंधकारी की कथा सुनाई।
उन्होंने कथा के दौरान कहा कि धुंधकारी ने अपने जीवन में बहुत पाप किए तथा मृत्यु के बाद वह एक प्रेत बन गया था। धुंधकारी के कुकर्मों की गिनती नहीं की जा सकती थी इसलिए श्राद्ध से भी इसको मुक्ति नहीं मिली। बाद में सूर्यदेव के निर्देशानुसार गोकर्ण महाराज ने भागवत कथा का आयोजन किया। जिसे सुनकर धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई और प्रेत योनि से मुक्ति मिली। भागवत कथा का आयोजन दुर्घटना में घायल गोवंश की सेवार्थ सहायता राशि एकत्रित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस राशि का उपयोग ग्वाला गौ चिकित्सालय गणेश रोड स्थित गौशाला में घायल गोवंश के उपचार हेतु कार्य में लिया जाएगा।