देवलीः के बावड़ी बालाजी परिसर देवली में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर शिव विवाह कार्यक्रम में जहां नन्हे मुन्ने बच्चों ने शिव पार्वती की जीवंत झांकी सजाई वहीं महिलाओं ने भजनों पर नृत्य किया। शिव बारात का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
कथा में महाराज स्वामी बसंत महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि विवाह में भगवान शिव के मसानी रूप को देखकर देवी पार्वती व्याकुल हो गई तब शिवजी ने अपनी लीला समेट ली और भगवान विष्णु एवं चंद्रमा ने मिलकर भगवान शिव को दूल्हे के रूप में तैयार किया। भगवान शिव अपने चंद्रमौली रूप को धारण करके सबका मन मोह रहे थे। ऐसी मान्यता है कि उत्तराखंड में स्थित त्रियुगी नारायण मंदिर ही वह स्थान है जहां पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और शिव पार्वती ने फेरे लिए थे। कथा के दौरान महाराज ने कहा कि इस संसार में मनुष्य का जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है सांसारिक सुखों को भोगते हुए भी मनुष्य भगवान के भक्ति मार्ग पर चलकर जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर हरि चरणों में विलीन हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कथा का आयोजनघायल गोवंश की सेवार्थ सहायता राशि एकत्रित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।