देवली में चल रहे स्मृति परिवर्तन-2025 के अंतर्गत ज्ञान गंगा महोत्सव में श्रमण मुनि 108 प्रणीत सागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए बताया की समाधि के समय हमारे परिणाम जितने शांत रहेंगे, जितने विशुद्ध रहेंगे हमारा अगला भव उतना ही विशुद्ध हो जाएगा।
मुनि ने कहा कि परिणामों में निर्मलता आने से भावों की विशुद्धता बढ़ती है, और उसी से संक्लेश परिणामो की निर्जरा होती है। चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष बाबूलाल जैन ने बताया कि मुनि ने जीवन का महत्वपूर्ण सूत्र देते हुए कहा कि कर्म कहता है मिटा दो बैर, वर्ना नही है तुम्हारी खैर। इस सूत्र का महत्व बताते हुए बताया कि आज का मनुष्य अपने अंत समय तक भी किसी से चल रहे बैर को नही मिटा पाता है जिससे अनन्त भव बिगड़ते चले जाते है इसलिए इसी भव में सभी से बैर भाव को खतम कर के परिणामों को विशुद्ध बनाना चाहिए। मीडिया प्रभारी विकास जैन ने बताया की मुनि द्वारा ह्रीं जाप के संकल्प पत्र भरवाए गए जिसमे लगभग 475 श्रावकों ने फॉर्म भरकर लगभग 1650 करोड़ जाप करने का संकल्प लिया।
शांत परिणामों के समाधिमरण से सुधरता है पर भव-प्रणीत सागर

