देवली की पार्श्वनाथ धर्मशाला में चल रहे स्मृति परिवर्तन 2025 चातुर्मास के दौरान मुनि 108 प्रणीत सागर ससंघ के सानिध्य में समाधिस्थ, गणचार्य 108 विराग सागर का प्रथम समाधि दिवस मनाया गया।
मीडिया प्रभारी विकास जैन टोरडी ने बताया की विराग सागर की संगीतमय पूजन उपस्थित श्रावकों द्वारा की गई। मुनि प्रणीत सागर ने विराग सागर के जीवन पर प्रकाश डाला तथा क्षुल्लक 105 विधेय सागर ने भजन द्वारा जीवन गाथा गाई। आचार्य 108 विमल सागर द्वारा उन्हें 9 दिसम्बर 1983 में औरंगाबाद में मुनि दीक्षा प्रदान की गई तथा 8 नवम्बर 1992 में आचार्य पद सोनागिर जी मे प्रदान किया गया। आचार्य द्वारा अनेकों ग्रन्थ, खण्ड काव्य, शाष्त्र, धवला टिका आदि रचित की गई। आचार्य ने लगभग 250 दीक्षाएं अपने कर कमलों द्वारा प्रदान कर जिन चलित तीर्थ का निर्माण किया, एवं कई पंचकल्याणक एवं कई उत्कृष्ट समाधियां कराई गई। स्मृति परिवर्तन चातुर्मास के अंतर्गत प्रातः महाराज नित्य सभी जिनालयों के दर्शनार्थ जाएंगे एवं श्रुत शाला, आहारचर्या तत्पश्चात सामयिक, दोपहर में सर्वभक्तिया-स्तोत्र पाठ, शब्दागम की क्लास तत्पश्चात गुरुभक्ति एवं सांय बालक-बालिका के लिए श्रुत शाला की क्लास एवं उसके उपरांत महाआरती का आयोजन होगा।
स्मृति परिवर्तन 2025 चातुर्मास: गणाचार्य 108 विराग सागर का प्रथम समाधि दिवस मनाया

