देवली मे मुनि 108 प्रणीत सागर महाराज एवं क्षुल्लक 105 विधेय सागर महाराज के सान्निध्य में चल रहे पर्युषण पर्व महामहोत्सव के अंतर्गत षष्टम दिवस पर उत्तम संयम धर्म एवं सुगन्ध दशमी पर श्री जी की शांतिधारा एवं अभिषेक पूजन की गई।
मुनि ने बताया की जिसके मन, वचन, कर्म वासना ओर आसक्ति से विरक्त होते है वही सच्चे अर्थ में संयम को धारण कर सकता है। संयम केवल इंद्रियों को वश में करना नही यह आत्मा की सबसे बड़ी विजय है। मीडिया प्रभारी विकास जैन ने बताया की शहर के सभी जिनालयों में सुगन्धदशमी पर्व पर श्रावकों द्वारा धूप का क्षेपण किया गया, एवं कर्म निर्जरा की भावना भाई गई।
सुगन्ध दशमी पर श्री जी की शांतिधारा एवं अभिषेक पूजा की

